सास बहु का झगड़ा खत्म करने का वज़ीफ़ा 5/5 (7)

सास बहु का झगड़ा खत्म करने का वज़ीफ़ा

सास बहु का झगड़ा खत्म करने का वज़ीफ़ा – Saas Bahu Ka Jhagda Khatam Karne Ka Wazifa, Upay, Tarika, हर घर मे सास और बहु के बीच झगड़ा कोई नयी बात नहीं है, परन्तु कई बार ये हद से जयादा बढ़ जाता है. इसलिए हम आज आपको सास बहु में मोहब्बत का वज़ीफ़ा और सास को अपनी तरफ करने का वजीफा बता रहे है. इसे सास के ज़ुल्म से बचने की दुआ भी कहते है.

Saas Bahu Ka Jhagda Khatam Karne Ka Wazifa

अधिकतर घरों में सास-बहू के बीच अनबन बनी रहती है। छोटी-मोटी नोकझोंक से लेकर बात-बातपर झगड़े हाने से परिवार का माहौल बिगड़ जाता है। घर का सुकून छिन जाता है।

सास को बहू की सुस्ती, कामकाज में नजरंदाजी, सही से खाना नहीं पकाने और लोगों के साथ अदब से पेश नहीं आने जैसी आदतों को लेकर शिकायत रहती है, तो बहू को सास पर हमेशा तानशाही चलाने का आरोप लगाती है।

सास बहु का झगड़ा खत्म करने का वज़ीफ़ा - Saas Bahu Ka Jhagda Khatam Karne Ka Wazifa, Upay, Tarika

सास बहु का झगड़ा खत्म करने का वज़ीफ़ा – Saas Bahu Ka Jhagda Khatam Karne Ka Wazifa, Upay, Tarika

इससे राहत पाने के लिए र्कुआन-ए-पाक में एक बहुत ही ताकतवर वजीफा बताया गया है। इस वजीफे की अमल को सास-बहू को छोड़कर घर का कोई दूसरा सदस्य कर सकते हैं। मौलवी के अनुसार तरीका नेक नीयत के साथ निम्न प्रकार से अपनाना होता है।

  • सास-बहू के हवाले से इसे दिन में किसी भी वक्त किया जा सकता है। यह 21 दिनों तक लगातार तक किया जानेवाला अमल है।
  • घर का कोई भी सुकून वाला स्थान चुन लें और साफ चादर पर ताजा वजू बनाकर नमाज पढ़ने के तरीके से बैठ जाएं।
  • पहले दरूदे शरीफ को सात बार पढ़ें फिर वजीफे की आयत को कम-से-कम 21 और अधिक-से-अधिक 71 बार पढ़ें। आयत है-

ना जा ना मा फी सुदुद्रिहिम मिन मिल्लन इख्वानान अल सुरुरिम मुताकाबिलिन।

  • उसके बाद दरूदे शरीफ को फिर से 7 बार पढ़ लें। अंत में सास-बहू के ऊपर तीन बार दम करें। उनपर दम नहीं कर सकते तो किसी मिठी चीज पर दमकर उन्हें आधा-आधा खिला दें।

सासबहू में मोहब्बत का वजीफा

सासबहू में मोहब्बत का वजीफा – Saas Bahu Mein Mohabbat Ka Wazifa, घर-परिवार की बहुत सारी खुशियां और सुकून सास-बहू के बीच आपसी तालमेल और मोहब्बत पर निर्भर करती हैं। हालांकि ऐसा बहुत कम देखा जाता है कि कोई सास अपनी बहू की तारीफ में कसीदे पढ़ती हो, और किसी बहूू को उसकी सास से कोई शिकायत नहीं रहती हो।

इस स्थिति को वजीफे के जरिए सास-बहू में मोहब्बत पैदा कर बदली जा सकती है। इसके लिए बहू या तो सास की जुबान को बंद करने का वजीफा करे या फिर सास अपनी बहू को वश में करने के बजीफे का अमल करे। दोनों ही स्थितियों में एक-दूसरे के बीच मोहब्बत पैदा हो जाएगा।

Saas Bahu Mein Mohabbat Ka Wazifa

  • कोई भी बहू अपनी सास के कड़वी जुबान को मिठास में बदलने के लिए इस आयत को पढ़ सकती है। आयत है-

वा तम्मत कलिमातु रब्बिका सिदक्वनव वा अदला, ला मुबाद्दीलिय ली कलिमाथ, वा हुवास समीउल अलीम।

  • इस आयत को बहू द्वारा रोजाना रात में सोने से पहले 312 बार पढ़ने की सलाह दी गई है। इसके पहले और अंत में दरूदे इब्राहिम तीन-तीन बार जरूर पढ़ें।
  • इसके पढ़ने के बाद किसी मिठी वस्तु या चीनी पर दम कर अगले रोज सुबह सास को खिलाने की कोशिश करें।
  • इस अमल को चाहे तों सास भी अपनी बहू के दिल में उसके प्रति कड़वाहट को खत्म करने के लिए दुआ कर सकती है।
  • ध्यान रहे इस वजीफे की अमल का उद्देश्य सास या बहू को काबू में करने की नीयत का नहीं होनी चाहिए, बल्कि उनके दिल में अपने प्रति आदर, सम्मान, समर्पण और प्रेम की भावना जागृत करने की रखें। माहवारी के दिनों इस अमल को नहीं कतई नहीं किया जाना चाहिए।

सास के जुल्म से बचने की दुआ

सास के जुल्म से बचने की दुआ – Saas Ke Zulm Se Bachne Ki Dua, Wazifa, बहुएं सास से कई तरह की प्रताड़नाओं की शिकार होती है। उनके जुल्मों के तरीके किस्म-किस्म के होते हैं, जिसकी एक नई-नवेली बहू कल्पना भी नहीं कर पाती है।

शौहर के घर में कदम रखते ही सास बहू की बुराई शुरू कर देती है। अनाप-शनाप की बातों में उसके सजने-धजने, खाना पकाने में खामियां गिनवाने से लेकर दान-दहेज में कमी तक होती हैं।

सास द्वरा जुल्म ढाने और तरह-तरह के ताने से बचने और उसकी बदजुबानी को बंद करने के लिए बहू को चाहिए कि वह सूरह लहाब की दुआ ‘‘ अस-सलाम अलाइकुम ’’ का अमल करे। इसे   सिलसिलेवार सलीके से पढ़ा जाना चाहिए।

Saas Ke Zulm Se Bachne Ki Dua

  • इस छोटी सी दुआ की शुरुआत किसी भी दिन आधी रात से किया जा सकता है। उसके बाद लगातार 11 दिनों तक करना है। परंतु माहवारी के दौरान नहीं करने सख्त हिदायत के साथ नेक नीयत का पालन करना जरूरी है।
  • शुरूआत इशा की नमाज से हो और दरूदे शरीफ के सात मर्तबा पढ़ने के बाद र्कुआनी आयात और दुआ-ए-इस्तीकहरा, अमल या अमलियात को दुरूस्त मखरीत के साथ पढ़ा जाना चाहिए।
  • दुआ की आयत को 1000 बार पढ़ने के बाद दरूदे शरीफ को सात बार पढ़कर अमल का अंत करें।
  • पूरे अमल के बाद उस रोज पकाई गई किसी खाने की वस्तु पर दम करें। ऐसा 11 दिनों तक करते हुए हर रोज भोजन के व्यंजन को बदल दें और अगली सुबह उसे सास की थाली में प्यार से परोस दें।
  • जैसे-जैसे दिन बीतेंगें सास भोजन की तारीफ बहू और उसके शौहर के सामने करने लगेगी।

सास को अपनी तरफ करने का वजीफा

सास को अपनी तरफ करने का वजीफा – Saas Ko Apni Taraf Karne Ka Wazifa, ज्यादतर परिवारों की बहू चाहती है कि उसकी सास शौहर की बातों को अधिक सुनने और मानने के बजाय सिर्फ उसकी ही सुने। यानी सास उसके कब्जे में बनी रहे और उसकी हमेशा तरफदारी करती रहे।

जबकि एक नवविवाहिता के लिए यह किसी ख्वाब से कम नहीं होता है। उनकी मूसीबत तब बढ़ जाता है जब सास की कैंची की तरह चलती जुबान बंद ही नहीं होती है। यह उसके लिए किसी जुल्म से कम नहीं होती।

जिस किस औरत के साथ ऐसी समस्या हो उसे सास को अपने वश में करने के लिए इस्लामी वजीफे का अमल करना चाहिए। इस कारगर वजीफे की बदौलत वह सास को अपनी तरफ कर शौहर के दिल पर भी राज कर सकती है। मौलवी द्वारा बताया गया अहम वजीफे की आयत है-

Saas Ko Apni Taraf Karne Ka Wazifa

वा अल्लाहु हु अला मु बीअ दाईकुलम वा कफा बिल्ट लाही वाल्या वां कफा लाही ना सीरा।

  • ध्यान रहे इस वजीफे को माहवारी के दिनों में नहीं करें और इसके साथ रोटी पर दम करें।
  • इस वजीफे को इशा की नमाज के बाद रात को 11 बजे के बाद करें। साथ में ताजा बनी एक रोटी रख लें।
  • आयत को पढ़ने से पहले तीन बार दरूदे शरीफ को पढ़ें। फिर वजीफे की आयत को 1111 मर्तबा पढ़ें। अंत में दरूदे शरीफ को फिर से तीन बार पढ़ें और रोटी पर दम करें।
  • अगली सुबह वही रोटी सास को परोस दें। इस अमल को तबतक करें जबतक कि सास के व्यवहार में बदलाव नजर नहीं आ जाए।

Har ghar mai saas or bahu ki ladai aam baat hai, shayad he aajkal koi aisa ghar ho jaha saas or bahu ke jagde nahi hote ho, parantu yadi ye roz roz ho to ye fir sadharan baat nahi hai. aaj hum aapko Saas Bahu Ka Jhagda Khatam Karne Ka Wazifa, Upay, Tarika or Saas Bahu Mein Mohabbat Ka Wazifa bata rahe hai. inko Saas Ke Zulm Se Bachne Ki Dua ya Saas Ko Apni Taraf Karne Ka Wazifa bhi kaha jata hai.

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लड़ाई झगड़े खत्म करने का वजीफा

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